"नज़र से नज़र मिलके रह जाती सदा ही झुकके,
चोरी-चोरी चुपके-चुपके पलकों के पीछे से छुपके।
हम तुमको देखा करते पर कह न पाए कभी खुलके,
बिछा हुआ था लाज का पहरा दिल हमारा धड़का रहता।
अँखियों में ही लिखा करते भर-भरकर हम प्रेम की पतियाँ,
पर तुम ठहरे इतने बुद्धु समझ सके न ऐसे कुछ भी बतियाँ।।"
#AnjaliSinghal#Poetry