आज फिर मिट्टी के खातिर, उन्होंने कीमत चुकाई है कफन को बांधकर सर पर ,गोली सीने पे खाई है वतन के लाल थे ,बेटे थे ,और किसी के शौहर थे हुए कुर्बान जितने भी, वे हम सब के ही भाई हैं वक्त वो जा चुका है अब, की कहां पर कौन दोषी है, फितरत मालूम है हमको, कि कितना अच्छा पड़ोसी है बात झंडे की हो तो हम सब को तुम एक ही समझो, यहां हर शख्स के रग में वतन की सरफरोशी है कसम कतरे की खाते हैं ये जाया जा नहीं सकता दिए बलिदान हैं जितने ,वो बुलाया जा नहीं सकता Aksh कहता है कि हमें छोड़ कर अब जा चुके हैं वो नासमझ जिस्म जाती है ,साया जा नहीं सकता #cinemagraph जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद कर कुर्बानी #शहीदों_को_नमन #भारत_माता_की_जय #अमर_जवान #हिंदुस्तान_शहीद_जवान_नमन #aksh #minewords