अज्ञान सर में डूबे प्राणी,ढूँढ रहे ज्ञानी बूँदे। नहीं भटकना ऐसे तुम तो,यहाँ कभी आँखें मूँदे।। समझ-समझकर जो ना समझे,नासमझी इसको मानें। बड़बोली सब रह जाएगी,कर्म को धर्म ही जानें।। वैर यहाँ पे क्यों है करना,सब मिट्टी में है जाना । हँसी-खुशी से मिल ले बन्दे,कल ना फिर होगा आना।। सुमन प्रेम के नित्य लगाओ,बीज बुराई ना रोपो। गलती तुमसे हो जाए तो,उसे किसी पे ना थोपो।। नहीं द्रौपदी अपमानित हो,कभी दुशासन के हाथों। जागो प्रियवर तुमसब मेरे,नारी सुरक्षा को नाथों।। ©Bharat Bhushan pathak hindi poetry on life poetry quotes love poetry in hindi poetry in hindi poetry lovers