Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो जो तुतलाती जबान में भी अपनी सी लगती है , वो जो

वो जो तुतलाती जबान में भी अपनी सी लगती है , 
वो जो बचपन की हसीं मुस्कान सी लगती है , 
माँ को माँ कहना जिससे हमने सीखा , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है ।2।

असंख्य भाषाओं में से जो सबसे सरल और मधुरिम सी लगती है , 
साथ लिए चलती सबको , सबकी जो प्रिय मीत सी लगती है , 
ममता का जो सर्वोत्तम प्रयाय बनी , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है । 2। 

समस्त कोलाहलों के बीच जो सबसे न्यारी सी लगती है , 
मृगमारीचिका बीच जो पनघट प्यारी सी लगती है , 
मधुरषित हैं शब्द कलश जिनके , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है । 2।

प्यारी तान जिसकी मुरलीधर की बांसुरी सी लगती है , 
प्रेम प्रकृति जिसकी राम -वैदेही मिलन वाटिका सी लगती है , 
पल्लवित है जो कल्पतरू सा चीर-निरंतर , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है। 2। हिंदी रूपी मातृभाषा को बहुत बहुत नमन है ...
वो जो तुतलाती जबान में भी अपनी सी लगती है , 
वो जो बचपन की हसीं मुस्कान सी लगती है , 
माँ को माँ कहना जिससे हमने सीखा , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है ।2।

असंख्य भाषाओं में से जो सबसे सरल और मधुरिम सी लगती है , 
साथ लिए चलती सबको , सबकी जो प्रिय मीत सी लगती है , 
ममता का जो सर्वोत्तम प्रयाय बनी , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है । 2। 

समस्त कोलाहलों के बीच जो सबसे न्यारी सी लगती है , 
मृगमारीचिका बीच जो पनघट प्यारी सी लगती है , 
मधुरषित हैं शब्द कलश जिनके , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है । 2।

प्यारी तान जिसकी मुरलीधर की बांसुरी सी लगती है , 
प्रेम प्रकृति जिसकी राम -वैदेही मिलन वाटिका सी लगती है , 
पल्लवित है जो कल्पतरू सा चीर-निरंतर , 
हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है। 2। हिंदी रूपी मातृभाषा को बहुत बहुत नमन है ...