................" आत्महत्या - ना कर साथी "....... . जीवन की विपदा से घबरा जीवन ज्योति ना बुझा दीपशिखा सी आभा तुझमे फिर क्यूँ तुझे ये निष्कृष्ट .....विचार सूझा आत्महत्या ना कर साथी जीवन पर होगा कलंक ....तेरा होना आत्मघाती . जिंदगी की झंझावत मे किंकर्त्तव्यविमूढ़ ना बन ................................... ......बन कर्मयोगी आयेगी आंधियाँ भी .......आयेगा भूचाल डट के खड़ा रहना है तुझे .... है ये मायाजाल आत्महत्या ना कर साथी जग को बना तू ढ़पली .... बजा खुशियो ताल . यूँ हार न मान दिलभर .......................बन बाजीगर तूफाँ कितना भी ...हो तेज क्यों न जीवन नैया निकालनी तुझे .....बन माँझीगर आत्महत्या ना कर साथी जीवन आनंद है ....ले आनंद जी भर . सोच एक पल ............एक घड़ी क्या होगा ......उन प्यासे नयनों का जो सजाएँ बैठे है ....स्वप्नलड़ी आत्महत्या ना कर साथी है जिंदादिलो की ये ....दुश्मन बड़ी . रख मनोरथ करने का कुछ जीवन मे ..............................बन स्नेहशील मतिमान होकर तू ......करता नीच काम स्वाभिमानी बन .... हो जा लक्ष्यशील आत्महत्या ना कर साथी क्या करेगा ... तू अपनो को ही दुखशील . हाँ ...हे एक उपाय जीवन निहाल बनाने का ............................बन सत्संगी कर गीता - कुरान का साथ ................हो जाये जीवन नवरंगी आत्महत्या ना कर साथी कर आत्ममंथन ......बन धर्मांगी . मनु की संतान होकर ....क्यों है घबराता .............................. बन पारंगत हे सखा ! हे मीत ! कहता यही "हरप्रीत " कर मत आत्महत्या नहीं यह .....भारत राष्ट्र की रीत . आत्महत्या ना कर साथी आत्महत्या ना कर करना है ...तो कर आत्मग्यान ..............कर आत्मग्यान !! ...दिलीप हाड़ा " हरप्रीत शशांक " ......." आत्महत्या - ना कर साथी "....... जीवन की विपदा से घबरा जीवन ज्योति ना बुझा दीपशिखा सी आभा तुझमे फिर क्यूँ तुझे ये निष्कृष्ट .....विचार सूझा आत्महत्या ना कर साथी जीवन पर होगा कलंक ....तेरा होना आत्मघाती