कुँज करो मंजिल को, अब देर न एकपल यार करो। छोड़ो सबकुछ पिछे, अब स्वयं से बेहद प्यार करो। दर्द दिए जो दिए है अब तक , अब सबको तुम इन्कार करो। चेतना है जो पास तेरे फिर, अब मेधा का सत्कार करो। सोचों स्वयं को चिंतन स्वयं का, अब खुद का जय जायकार करो। कुँज करो मंजिल को, अब देर न एकपल यार करो। •••कुमार आदित्य ••• , ©Kumar Aditya #think about yourself #LostInSky