White अपने इशारे पर नचा रहीं है जिन्दगी किस के हाथों की कठपुतली है जिन्दगी न बदला दर अपना न खुदा बदला कभी फिर न जाने क्यूँ बदली है जिन्दगी काँटे बिछाता है ये कौन मेरी राहो में एक बार गिरी फिर कहाँ सम्भली है जिन्दगी रोशनी मयस्सर अब होती नहीं हमे आसमाँ पर छायी काली बदली है जिन्दगी क्या सोचकर आए किधर जा रहे है हम किन राहो पर बेसाख्ता चली है जिन्दगी मेरे जैसा मेरे में कुछ बाकी न रहा न जाने इस मिट्टी को कैसी मिली है जिन्दगी ©Ravikant Dushe #GoodMorning Sangeet...