कर सकते हो आवाज़ अनसुनी, दिल के ज़ज्बात का क्या करोगे? करोगे ख़ामोशी भी नज़रअंदाज़, उसके सवालात का क्या करोगे? अपने एहसास छुपाकर, आसान है किसी को दर्द दे रुलाते जाना, मानोगे बात-बेबात पर बेगाना, साथ के लम्हात का क्या करोगे? 🎀 Challenge-397 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।