गरीबी के मायने देश को बतलाने लगे हैं। देते हैं मुफ़्त राशन ये एहसान जताने लगे हैं।। जो मंहगाई,बेरोजगारी और अशिक्षा का रोना रोते थे कभी। वही स्वर्ण पे 3% और शिक्षा पर 18%जीएसटी लगाने लगे हैं।। राष्ट्र हित को जो सर्वोपरि बतलाया करते थे आलोक। वो सिर्फ अडानी,अंबानी का हित करते नज़र आने लगे हैं।। जो जवानों की शहादत को देश पर कर्ज माना करते थे कभी। वही 300KG RDX कहां से आया मालूम करने से कतराने लगे हैं।। जो किसानों की आत्महत्या पर खूब चिंघाड़ा करते थे। राजपथ पर अनशन करते किसानों पर वही लाठीचार्ज करने लगे हैं।। पेट्रोल,डीज़ल और सिलेंडर के लिए को कभी जाम लगाया करते थे। वही स्मृति ईरानी अब सड़कों पे सिलेंडर रखने से कतराने लगी हैं।। जो पार्टी काला धन वापस लाने का कभी समर्थन किया करती थी। वही अब अपने आंचल में आरोपी,भ्रष्टाचारियों को छुपाने लगी है।। जो सभी राज्यों को हिंदूराष्ट्र भारत का अभिन्न अंग कहते थे। वही मणिपुर के जलने पर अब दो शब्द नही कह पाते हैं।। हुआ मुझसे भी है दो बार अपराध जाने कैसे दे दिया?बीजेपी को वोट। राष्ट्र संपति बेचने वालों को आलोक मेरा वोट अब कतई नहीं जाएगा।। ©आलोक अग्रहरि #राष्ट्रहित