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'इश्क़ सितम' झुका के पलकों को फिर लटो को गिराया ग

'इश्क़ सितम'

झुका के पलकों को फिर लटो को गिराया गया 
माथे की  शिकन को कुछ तरह से छुपाया गया 

लफ़्ज़ों को लबों पे ख़ूबसूरती से सजाया गया 
तड़प  बेकरारी को  सीने में ही  दफनाया गया 

कैसे करे  बात अनदेखी का परदा लगाया गया 
कैसे जाये करीब उसूलों का पहरा लगाया गया

अंदाज उनका  हाल-ए-दिल  बयां कर ही गया
नजरो को नजरो से मिला कर जब चुराया गया  

सहना पड़ेगा इश्क सितम इक बार जो हो गया 
रास्ता मिला न मंजिल तेरे  दर से लौटाया गया

©vineetapanchal
  #ishk_sitam #tadap #jajbaat