आज वो फिर मिल गया जो अंजाने में छूट गया था मुसकुराया वो मुझे देखकर बोला मुझसे मैं तेरा आतीत हूँ , मैं खामोश तकता रहा बड़ी देर तक उसे पहचान न पाया अंजाने में , टोका उसने फिर मुझे और बोला मुझसे पहचान मुझे , मैं भरमाया थोड़ा सकुचाया बोल पड़ा तु तो यार है मेरा, फिर बोला मुझसे वो हाँ यार हूँ तेरा और उसी मोड़ पर बैठा हूँ जहां तू छोड़ गया था वो मोड़ अब भी वैसा पड़ा है जहां से तू मोड़ मुड़ गया था संकरे रसते से गुजरकर तू आ जाना मेरे यार अब तू अतीत मत बन जाना जैसे मुझे बना दिया था।। # मानस