सुनो प्रेम से देशबंधुओं, हम विश्वपटल पे छायेंगे, धीमें नहीं,अब द्रुत गति से हम भारत नया बनायेंगे। व्यूह चाहे कितने लगा ले, हम सब भेदते जायेंगे, शत्रुओं का अपने शौर्य से, परिचय अब करवायेंगे। सत्ता लोलुप परिवारों से, पद सिंहासन छीने जायेंगे, देश का हर एक अंग देश का, सुरा आज़ादी,पीने जायेंगे। राष्ट्र की शिराओं के, सब बंध खोले जायेंगे, वीरों के सम्मानों में, छंद बुलंद बोले जायेंगे। निर्माण के आयामों में, भागीदारी हम निभायेंगे, धीमें नही,अब द्रुत गति से हम भारत नया बनायेंगे। कीर्ति गुर्जर #independenceday