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दोस्त तेरी याद बहुत आती है यार तेरा रूठना परेशान क

दोस्त तेरी याद बहुत आती है यार तेरा रूठना परेशान करता है कि जो तेरे साथ बिताए हुए पल को सैकड़ों हजारों बातें जो सिर्फ तेरे और मेरे दरमियां ही हुई है। मैं जानता हूं तूने मेरी बहुत सारी गलतियां नजरअंदाज किया,तेरे हॉस्टल के दिन से लेकर तेरे नौकरी चयन करने तक ,उन सभी अच्छे बुरे पलों में तूने मुझे बताएं कि मेरे साथ कैसे ये हुआ यह हुआ वह दूसरा यह रह गया, फोन पर झूठ बोल सकता हूं पर लिखते वक्त नहीं और हां यहां मैं कहता हूं कि हा मै ठीक नहीं हूं, पता है अब तेरा यू नजरअंदाज करना मुझको, खाली अजीब ही नहीं लगता साथ साथ बुरा भी लगता है, तू कहां करती थी कि हम हमेशा दोस्त रहेंगे, पर देख तूने डोर का एक सिरा छोड़  दिया है यार, तूने ना डोर नहीं तोड़ी है, तूने तो डोर को छोड़ ही दिया यार ये व्हाट्सएप, फेसबुक योर कोट्स वगैरा-वगैरा पर ब्लॉक करना आसान है पर क्या आसान है उनकी यादों को ब्लॉक करना जो बहुत दिनों तक साथ रही है जो 1 दिन में नहीं कई कई सालों में बनती है मुझे तो नहीं लगता कि यह आसान है और इसीलिए मैं आज भी उम्मीद में जीता हूं, नाउम्मीद में नहीं , शायद तुझे मेरा ज़र्फ़ छोटा और हल्का लगता होगा, इसलिए तो बचने लगी है, अच्छा तुझे वह तो याद होगा ना जब मैं कोई नई कविता लिखता था तो तुझ से सबसे पहले शेयर किया करता था, तू बड़ी वाहवाही क्या करती थी कि अच्छा लिखा है,और जब मेरा आज मौका आया कि मैं तेरी वाहवाही करूं तेरी तो तूने मुझे अपने से अलग कर दिया।
            पता है एक दिन यह सब गलतियां गलतफहमियां सफेद हो जाएंगे, जब इंसान सफेद कफन में होगा उस दिन सब भुला कर सब यही चाहेंगे की बस ये एक बार बोल ले , लेकिन ये मुमकिन ना हो पाएगा,तब वहां से आना बोल पना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो जाएगा,

कोशिश करना  आदमी को उसके आखिरी वक़्त आने से पहले अपने मन् में फसी बातें कह सके तो!  क्योंकि जो एक बार इस जहां से गया तो समझलो अब वो लौट कर नहीं आयेंगे लाख कोशिश के बावजूद भी! letter to the ex best friend
दोस्त तेरी याद बहुत आती है यार तेरा रूठना परेशान करता है कि जो तेरे साथ बिताए हुए पल को सैकड़ों हजारों बातें जो सिर्फ तेरे और मेरे दरमियां ही हुई है। मैं जानता हूं तूने मेरी बहुत सारी गलतियां नजरअंदाज किया,तेरे हॉस्टल के दिन से लेकर तेरे नौकरी चयन करने तक ,उन सभी अच्छे बुरे पलों में तूने मुझे बताएं कि मेरे साथ कैसे ये हुआ यह हुआ वह दूसरा यह रह गया, फोन पर झूठ बोल सकता हूं पर लिखते वक्त नहीं और हां यहां मैं कहता हूं कि हा मै ठीक नहीं हूं, पता है अब तेरा यू नजरअंदाज करना मुझको, खाली अजीब ही नहीं लगता साथ साथ बुरा भी लगता है, तू कहां करती थी कि हम हमेशा दोस्त रहेंगे, पर देख तूने डोर का एक सिरा छोड़  दिया है यार, तूने ना डोर नहीं तोड़ी है, तूने तो डोर को छोड़ ही दिया यार ये व्हाट्सएप, फेसबुक योर कोट्स वगैरा-वगैरा पर ब्लॉक करना आसान है पर क्या आसान है उनकी यादों को ब्लॉक करना जो बहुत दिनों तक साथ रही है जो 1 दिन में नहीं कई कई सालों में बनती है मुझे तो नहीं लगता कि यह आसान है और इसीलिए मैं आज भी उम्मीद में जीता हूं, नाउम्मीद में नहीं , शायद तुझे मेरा ज़र्फ़ छोटा और हल्का लगता होगा, इसलिए तो बचने लगी है, अच्छा तुझे वह तो याद होगा ना जब मैं कोई नई कविता लिखता था तो तुझ से सबसे पहले शेयर किया करता था, तू बड़ी वाहवाही क्या करती थी कि अच्छा लिखा है,और जब मेरा आज मौका आया कि मैं तेरी वाहवाही करूं तेरी तो तूने मुझे अपने से अलग कर दिया।
            पता है एक दिन यह सब गलतियां गलतफहमियां सफेद हो जाएंगे, जब इंसान सफेद कफन में होगा उस दिन सब भुला कर सब यही चाहेंगे की बस ये एक बार बोल ले , लेकिन ये मुमकिन ना हो पाएगा,तब वहां से आना बोल पना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो जाएगा,

कोशिश करना  आदमी को उसके आखिरी वक़्त आने से पहले अपने मन् में फसी बातें कह सके तो!  क्योंकि जो एक बार इस जहां से गया तो समझलो अब वो लौट कर नहीं आयेंगे लाख कोशिश के बावजूद भी! letter to the ex best friend
deepakkumar7973

Deepak kumar

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