ढूंढ़ लेती हैं तेरी यादें हमें,हर दिन नये बहाने से क्या वो भी वाकिफ़ हो गई हैं,मेरे हर ठिकाने से गुज़र रही है ये ज़िदंगी,हर रोज़ नये इम्तिहानों से हवाओं की ज़िद भारी पड़ गई,जब चूका तीर कोई निशाने से एक सवाल बहुत सता रहा,मिलकर भी हम क्यूं मिले नहीं जब मिलना ही नहीं था नसीब में,फिर हासिल क्या हुआ हमें आज़माने से तरस रही हैं निगाह क्यूं,पल भर के उनके दीदार को वो मेरा कभी हुआ नहीं,जिसे छिपाते रहे हम सारे ज़माने से भरोसा करके समंदर पर,नदी मीठे से खारी हो गई मोहब्बत की कोई वजह नहीं,वो बेवजह ही हमारी हो गई मिला तो हमें रब भी नहीं,क्या मिला तकदीर पर इल्ज़ाम लगाने से दिल फिर भी धड़कता तेरे लिए रहा,वो माना भी कब किसी के समझाने से... © abhishek trehan #यादें #बहाने #निशाने #poetry #shyari #manawoawaratha #yqbaba #yqdidi