सरहद पर तैनात सिपाही की बचपन बाली लोहड़ी की याद.............. फिर से आज वही पिंड बिच महफ़िल साजानी है, दुल्ला भट्टी की कहानी सबको सुनानी है, सारे गाँव में गुड तिलकुट बटवानी है, ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, लकड़ियो के बीच आग में सारी नफ़रत जलानी, एक दूजे के दिल में एहतराम की कलियाँ खिलानी , भूलगये है जो गोविंद साहब को, उनको फिर से उनकी वीरता की याद दिलानी है, ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, चने दा साग और मक्के दी रोटी बेबे नू हाथो से खानी है, बापू से पैसे ले रेवडी गजक लानी है, कन्डे लकड़ियो का टाल लगा आग जलानी है, ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, यारो अब कहाँ वो बीती यादें फिर से आनी है, सोचकर उनको अब सिर्फ आँखो बिच पानी है, कहाँ अब वो पिंड दी छोरी मेरी दीवानी है, ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से, मेरे गाँव बिच मनानी है, ...... #जलज_कुमार #लोहडी #सैनिक लोहड़ी दी लख-लख बधाई सरहद पर तैनात सिपाही की बचपन बाली लोहड़ी की याद.............. फिर से आज वही पिंड बिच महफ़िल साजानी है, दुल्ला भट्टी की कहानी सबको सुनानी है, सारे गाँव में गुड तिलकुट बटवानी है, ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, लकड़ियो के बीच आग में सारी नफ़रत जलानी, एक दूजे के दिल में एहतराम की कलियाँ खिलानी , भूलगये है जो गोविंद साहब को,