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मेरे घर के बाजू में था एक मंदिर और एक थी मज्जिद दो

मेरे घर के बाजू में
था एक मंदिर और एक थी मज्जिद
दोनों में कुछ फांसले थे
पर भक्ति में थी दोनों की इज्जत

एक दिन सुबह सुबह में जागा
कानों में दो आवाजें आ रहीं थी 
एक तरफ से आ रही थी सीताराम
तो दूसरी तरफ से आयतें जा रहीं थी

दोनों आवाजों का मिश्रण 
मेरे कानों को मिल रहा था
सीताराम अल्लाह अल्लाह सीताराम
हवाओं में घुल रहा था

©Yatendra Gurjar #GoldenHour 
#humanityfirst
मेरे घर के बाजू में
था एक मंदिर और एक थी मज्जिद
दोनों में कुछ फांसले थे
पर भक्ति में थी दोनों की इज्जत

एक दिन सुबह सुबह में जागा
कानों में दो आवाजें आ रहीं थी 
एक तरफ से आ रही थी सीताराम
तो दूसरी तरफ से आयतें जा रहीं थी

दोनों आवाजों का मिश्रण 
मेरे कानों को मिल रहा था
सीताराम अल्लाह अल्लाह सीताराम
हवाओं में घुल रहा था

©Yatendra Gurjar #GoldenHour 
#humanityfirst