झंडा मायूस है। आज फैराया झंडा मैंने, वो थोडा मायूस है। देख अपने देश की हालत, वो भी थोडा , गंभीर है। बलात्कार, भ्रष्टाचार मंहगाई,बेरोजगारी और मची है ,चित्कार। पूंजीवाद की धूम मची है गरीब है लाचार। अधिकार सबने जान लिए कर्तव्य से है , नादान। बना आज संविधान तो.... कहा गयी सबकी शान। बस झंडा भी कह गया ऊचा लहराना ही क्या मेरी शान है। झंडा भी आज,मायूस है----नीता चौधरी © #कविता,#समाज और संस्कृति #RepublicDay