इन बारिश की बूंदों के हबाब बन , इस समुंदर में कहीं मिल गये हो तुम, देखने पर भी कहीं नज़र नहीं आते हो तुम, इन लहरों संग कहीं गुज़र गये हो तुम, यही सागर की गहराई में कहीं हो गुम - सूम , फिर भी ये वतन की ज़मीं और मिट्टी महफूज़ और सलामत हैं, ये विशाल , आज़ाद आसमां चांद - सितारों संग जगमगा रहा हैं, क्योंकि , इसी समुंदर में हिफाज़त बन संग बस गये हो तुम, ये वतन की शान और रखवाली के रंग भर घुल मिल से गये हो तुम। dedicated to INDIAN NAVY