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नारी दिवस पर मेरी एक रचना समस्त नारीयों को समर्पित

नारी दिवस पर मेरी एक रचना समस्त नारीयों को समर्पित 🙏💐💐💐

बुहारती हूं,निखारती हूं।
मैं घर को अपने संवारती हूं।
खुद में #बिखर कर भी मैं अक्सर। 
दिल से सबको दुलारती हूं।
भावों को पढ़ती हूं तुम्हारे।
मैं ना उनको #नकारती हूं।
बुहारती हूं,निखारती हूं।....
नज़र अंदाजी भी तुम्हारी।
करती #दरकिनार मैं सारी
प्रेम को ही आधार बनाकर।
मैं तो तुमको #निहारती हूं।
बुहारती हूं निखारती हूं....
पीड़ा जब हद से बढ़ जाती।
तब ही तुमको #पुकारती हूं।
बुहारती हूं, निखारती हूं।....
बालक छिपा ह्दय में मेरे।
मैं बालक सी #शरारती हूं।
बुहारती हूं, निखारती हूं।...
बिटिया मैं भी किसी बाबा की।
बिटिया के पर #पसारती हूं।
बुहारती हूं, निखारती हूं।...
छू लें बढ़ के जो वो चाहें।
आकाश विस्तृत मैं चाहती हूं।
बुहारती हूं, निखारती हूं।....
हो न दफन किसी बेटी के सपने।
राहें उनकी #संवारती हूं।
बुहारती हूं, निखारती हूं।
मैं घर को अपने संवारती हूं।

©सुधा भारद्वाज"निराकृति"
  ##नारी_दिवस (#women's_#day