#बार_बार_बीज_बोया बेशक रो दिया है, बीज बो दिया है कविता को लिख-लिख कर साहित्य की मिट्टी में। अब भले मुझे मार डालो, भले मुसीबत से न निकालो रात के अंधकार ने, कविता के प्यार ने मुझे जल दिया है, जिस जल से जन्म होगा म्हारा दोबारा क्योंकि कविता ने है पुकारा दोबारा एक और कविता बन कर फेसबुक के पन्ने पर। मुझे मतलब कभी नहीं रहा कि भले तुम धूल खाओ, भले तुम फूल खाओ लेकिन लालची बन जब दखल दिया तुमने तो कविता ने कहा, "कातिलों के काम में टांग अड़ाओ।" ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #बार_बार_बीज_बोया