ये दुनिया फूल नहीं देगी,तू काटों को ही गुलाब कर जिसे दुनिया से तूने छुपा लिया,उस हिस्से से इश्क बेशुमार कर हमेशा सख़्त न रहेगा,तू अपनी मासूमियत पर ऐतबार कर लोग अपने हिसाब से परखते रहेंगे,तू ख़ुद अपना मुकम्मल हिसाब कर जहाँ से शुरू किया था,तू फिर वहीं इंतजार कर सदाएँ ठिकाना ढूंढ लेंगी,तू शुरू सफ़र फिर एक बार कर एक किताब में ही रहेंगे,दो पन्नों का होगा फ़ासला रिश्ते बनते- बिगड़ते रहेंगे,तू अपनी ही परछाई का शिकार कर कदम दो कदम हज़ार बनेंगे,तू मजबूती से अपना हर वार कर नया जख़्म इंतज़ार करेगा,तू पहले चुकता पुराना हिसाब कर... © trehan abhishek ♥️ Challenge-913 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।