इक अनचाही सी राह के हो चुके है हम, जानु न किस भीड़ में अब खो चुके है हम। हर ज़र्रा मेरे जिस्म का शबनम हुआ करता था, देखो इन लहू को, इतना रो चुके है हम। तन्हाई के चौखट हम ठहरे युही अक्सर खो कर तुमको मैंने , खोया अपना हर मंज़र इक बार ज़रा तो पढ़ ले पैगाम-ए-इश्क़ तू दिलबर, तुम बिन इक पल भी न, रह सके है हम। हर रात मेरा तेरे बिन, महताब अब ना भाये आँखों की इन मौसम को बरसात कभी ना भाये, तेरि अनदेखी मंज़िल, हर राह में मेरे है तम, अजनबियों के बीच में खुद , अनजान हो चुके हम। तड़पी नही तेरी आँखें , तेरी गल्लियाँ देखने को, मानी कैसे तेरी साँसे किसी और आशियाने को, कैसे ना आने को , माने तेरे वो धड़कन किस लम्हे की बाहो में आज खो चुके हो तुम इक अनजानी सी राह के हो चुके है हम। Image source: goggle #yqbaba #yqdidi #dedicated 📀 #parrrr