शीर्षक - वृद्ध युवा हूं।। कविता।। मै गुनह गार नहीं, निर्दोष हूं, युवा जोश हूं, कुछ रिश्ते ओर निभाने है जीवन के, तब तक तो मैंबहुत खुश हूं, का मै वृद्ध नहीं, वृद्ध युवा हूं, लाचार नहीं,मै सक्षम हूं, मानता हूं तन से दिव्यांग हूं मैं, मै तुम से कभी न कम हूं, अपने बुलंद हौसलों से, मै मरकर भी जिंदा हूं नहीं चाहत मुझे, वृद्धाश्रम या किसी घर की, भले ही भोगनी पड़े, ठोकरें दर दर की, वृद्ध आदमी का मज़ाक अगर तुम उड़ाओगे, याद रखना जीवन में तुम भी वृद्ध कहलाओंगे, जीवन को संघर्षों में जिया हमने, सुदृढ़ता का साक्ष्य हम भी दे आए हैं, हम हारे नहीं है जिंदगी से, मेडल हम भी जीत के लाए हैं, भुलाके सारे विलक्षण, हम बनाएंगे उन्हें दीपमान, जिस दिन हम मान लेंगे, विकलांग को दिव्यांग, चाहत ही जीवन की नाव है, अंग तो एक खेवट की छलाव है। नाम - नटवर चरपोटा। जिला - बांसवाड़ा। राज़।। ©Navin #olderpeople #oldege #adlut #MomentOfTime