रूह झुलसाती मुफलिसी मुफलिसी इतनी कि ख़ुद से भी नज़रें नहीं मिला पाता है वो, ख़ुद को भी तो अब किस्मत पर यकीन नहीं दिला पाता है वो, रूह झुलस जाती है उसकी, नज़रें चुराकर बहाने बनाते हुए भी, अपनी जान के लिए, खिलौनों की कीमत नहीं जुटा पाता है वो...! . . मुफलिसी:— निर्धनता/ आर्थिक मंदी BY:— © Saket Ranjan Shukla G:— @my_pen_my_strength रूह झुलसाती मुफलिसी...! . मुफलिसी:- निर्धनता/ आर्थिक मंदी . #poverty #father #life #struggle #brokensoul #society #Hindi #poem #Shayari #Society