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दहेज से बाप का कंधा टूटा न होता रश्मों से भाई का स

दहेज से बाप का कंधा टूटा न होता
रश्मों से भाई का सर झुका न होता
तानो से बेटी का दिल रोया न होता,
तो आज बेटे की तरह बेटी के पैदा होने पर 
भी ढोल बजते और लोग केवल ये न आशीर्वाद
 देते की लड़का हो अपितु ये कहते की जो भी हो स्वस्थ हो फिर चाहे वो लड़का हो या लड़की हो,
हमारे मां बाप ने बेटी को बोझ नहीं समझा अपितु समाज ने बेटी को बोझ बनाया है।

©jayanti bajpai
  बेटी का बोझ

बेटी का बोझ #Society

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