गुमान की आग में उनके तिनके तिनके जलकर खाक हो गये रो कर हम बस दुआ में हाथ उठा दिये हमारे सारे गुनाह एक नफस में माफ हो गये तकलीफ हुई तो हम तनहाई में छिपकर रो लिये सारे गम एक पल में साफ हो गये सजदे में सिर झुकाकर खुद को प्यांदा महसूस किया पता ही न चला जाने कब शहंशाह हो गये काफिर से आबिद किया खुद को हमने लफ्जों के जहांपनाह हो गये जिन आंसुओं को कोसा हमने आज उन्हे पन्नों पर निचोडा़ तो वो मन का राग हो गये खता जिंदगी में खूब की हमने फकत एक पल पीछे मुड़कर तफ्शील से सोंचा तो खुद ही राहत का आब हो गये आबिद-खुदा की इबादत करने वाला,तफ्शील-विस्तार से,आब-पानी/चमक/कांति गुमान की आग में जलकर उनके तिनके तिनके खाक हो गये