पंछी मै, एक पिंजरबंद परिंदा | होते हुए भी नही हूं जिन्दा || उड़कर जाना चाहता हूं सब के पास | बस मे नही कुछ,दिख भी नही रही कोई आस || क्या करूं व्यक्त,भावना कोई समझता नही | कितनी भी करूं मसक्कत मेरी कोई सुनता नही || नही जीनी ये जिंदगी,जहाँ सब के साथ नही रह सकता | है ये एक ऐसी जंग जिसे मै लड़ भी नही सकता || :-Jatin #लाचार