,,,, खोई थी खयालों में खिड़की के पास शांत मुद्रा में,,,, बाहर सब भीगा भीगा सा था,,,, बारिश के बाद सारे पत्ते चमक रहे थे,,, हार सिंगार का वृक्ष भीगा भीगा हुआ,,,मध्यम सी खुशबू खिड़की से आकर मेरे पास ,,,, मुझे मंत्र मुग्ध करती,,,,, ठंडी ठंडी पवन चेहरे को,,छू कर जाती,,,बालों को थोड़ा,,, इधर-उधर बिखरा देती,,,,मैं एकांत मौन में उसी क्षण में,,, महसूस करती खुद के होने को,,,प्रकृति के सौंदर्य को,,,और हृदय में आनंद की फुहार छूट जाती,,,,, कितना प्यारा जीवन लगता,,,रोम रोम खिल उठता,,, बारिश के बाद मिट्टी की भीगी भीगी सोंधी सोंधी खुशबू,,,, चारों तरफ फूलों के वृक्ष,,,,फूल उनके नीचे गिर कर,,,फूलों की चादर बिछा देते,,,,,आंखें तृप्त हो जाती,,,मन प्रसन्न हो जाता ऐसा स्वर्ग का सौंदर्य देखकर,,,, प्रेममय रक्त का कण-कण हो जाता,,,हृदय हजार गुना ऊर्जा से भर जाता,,,,आत्मा जो भारी थी विचारों से,,,वह कपास की रूई की तरह हल्की,,,,सेमंल के बीजों की तरह इधर-उधर उड़ती फिरती,,,,,, #महसूस_करके_देखिए