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मत पूछो की कौन हू मैं, देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं

मत पूछो की कौन हू मैं,
देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं l
मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने वाले, 
बात वतन पे आई तो द्रोण हू मैं l

जितना खार खाना हो खा लो मुझसे,
वतन पे वार ना बर्दाश्त होगा l
आँच आई वतन पे तो,
अर्पण मेरा सर्वस्व होगा l
ना समझना की मेरे देश को तुम बाँट पाओगे,
कुछ ग़द्दार नेताओ से तुम जनता को कहां पाट पाओगे? 
आ गयी जनता अगर अपने पे तो,
छोड़ के ये धरती! वापस भाग जाओगे l
मत पूछो की कौन हू मैं,
देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं l
मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने वाले, 
बात वतन पे आई तो द्रोण हू मैं l #bharat
मत पूछो की कौन हू मैं,
देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं l
मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने वाले, 
बात वतन पे आई तो द्रोण हू मैं l

जितना खार खाना हो खा लो मुझसे,
वतन पे वार ना बर्दाश्त होगा l
आँच आई वतन पे तो,
अर्पण मेरा सर्वस्व होगा l
ना समझना की मेरे देश को तुम बाँट पाओगे,
कुछ ग़द्दार नेताओ से तुम जनता को कहां पाट पाओगे? 
आ गयी जनता अगर अपने पे तो,
छोड़ के ये धरती! वापस भाग जाओगे l
मत पूछो की कौन हू मैं,
देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं l
मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने वाले, 
बात वतन पे आई तो द्रोण हू मैं l #bharat