मत पूछो की कौन हू मैं, देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं l मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने वाले, बात वतन पे आई तो द्रोण हू मैं l जितना खार खाना हो खा लो मुझसे, वतन पे वार ना बर्दाश्त होगा l आँच आई वतन पे तो, अर्पण मेरा सर्वस्व होगा l ना समझना की मेरे देश को तुम बाँट पाओगे, कुछ ग़द्दार नेताओ से तुम जनता को कहां पाट पाओगे? आ गयी जनता अगर अपने पे तो, छोड़ के ये धरती! वापस भाग जाओगे l मत पूछो की कौन हू मैं, देख रहा सबकुछ पर मौन हू मैं l मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने वाले, बात वतन पे आई तो द्रोण हू मैं l #bharat