White मेरी काया, क्या जानी तुमने मेरी पीड़ा..? यात्राएं अनंत हो चुकी, आई सांझ की बेरा! मेरी काया, क्या जानी तुमने मेरी पीड़ा..? दिन बीत गया, बीत गई उम्र की रेखा। ये जन्म भी रिक्त गया! कब आएगा सजन का डेरा..? मेरी काया, क्या जानी तुमने मेरी पीड़ा..? ©NIDHI SINGH SONAM #ibadat