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'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है-



'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- धमनी, जिसका अर्थ है- मानव शरीर में विद्यमान वे नलियां जिनके द्वारा हृदय से चलकर रक्त सारे शरीर में पहुँचता है। प्रस्तुत है अज्ञेय की कविता- तुम हँसी हो 



तुम हँसी हो—जो न मेरे होंठ पर दीखे, 
मुझे हर मोड़ पर मिलती रही है। 
धूप—मुझ पर जो न छाई हो, 
किंतु जिसकी ओर 
मेरे रुद्ध जीवन की कुटी की खिड़कियाँ खुलती रही हैं। 

तुम दया हो जो मुझे विधि ने न दी हो, 
किंतु मुझको दूसरों से बाँधती है 
जो कि मेरी ही तरह इंसान हैं। 
आँख जिनसे न भी मेरी मिले, 
जिनको किंतु मेरी चेतना पहचानती है। 

धैर्य हो तुम : जो नहीं प्रतिबिंब मेरे कर्म के धुँधले मुकुर में पा सका, 
किंतु जो संघर्ष-रत मेरे प्रतिम का, मनुज का, 
अनकहा पर एक धमनी में बहा संदेश मुझ तक ला सका, 
व्यक्ति की इकली व्यथा के बीज को 
जो लोक-मानस की सुविस्तृत भूमि में पनपा सका। 

हँसी ओ उच्छल, दया ओ अनिमेष, 
धैर्य ओ अच्युत, आप्त, अशेष।

©sampu janagal
  #Flower  Pukhraj Megwal