ख़ुशी और गम वो एक शाम मेरा दिल बड़ा बेसाख्ता सा था नजर ढूढ़ रही थी तुझे ना जाने तू कहा गुम था किया तलाश बहुत फिर जो थक बैठ ही था मेरा फिर फोन बजा सामने तू ही तो था मुझको समझने का वक्त दो जरा कैसे समझाए इस कमबख्त दिल को बता तू पास आते हुए फिर कहा चली गई है मैं अकेला बैठा हू अभी भी इंतजार का लफ्ज था जहा वो बीती मगर फिर से बड़ी बोझिल सी सवाल ये था मेरे हाथ खाली था आँख भरी थी मगर तेरा कन्धा तेरा रुमाल कहाँ था मैं बैठा हू उसी लैम्प पोस्ट के नीचे और सोचता हू तेरा जाना अगर सवाल था तो इंतजार को बैठा ही क्यों हू मगर जवाब कहाँ था, इस सवाल का जवाब कहा था..... #sawal#jawab#akela