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कल शाम की बात है फिर वही जज़्बात है, कल श्याम की ह

कल शाम की बात है  फिर वही जज़्बात है, कल श्याम की ही बात है 
मंदिर की सीढ़ियों पे बैठी थी तुम 
आज गुमसुम सी 
कल तक निहारता था तुझे 
हर पल खिलखिलाती मुस्कुराती 
रहती थी उन्हीं सीढ़ियों पर 
सालों बाद तुम खोयिं सी हो 
सीढ़ियां भी चुप है 
मेरी दिल की धड़कनों में तुम्हारे लिए 
आज फिर वही जज़्बात है । जज़्बात
कल शाम की बात है  फिर वही जज़्बात है, कल श्याम की ही बात है 
मंदिर की सीढ़ियों पे बैठी थी तुम 
आज गुमसुम सी 
कल तक निहारता था तुझे 
हर पल खिलखिलाती मुस्कुराती 
रहती थी उन्हीं सीढ़ियों पर 
सालों बाद तुम खोयिं सी हो 
सीढ़ियां भी चुप है 
मेरी दिल की धड़कनों में तुम्हारे लिए 
आज फिर वही जज़्बात है । जज़्बात