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किसी की उम्मीदों के खातिर खुद का रस्ता मोड़ना पड़ा!

किसी की उम्मीदों के खातिर खुद का रस्ता मोड़ना पड़ा!
बेटियों तो कहते होती हैं पराई, अपनों की ख़ुशी के लिए उसे अपनों को छोड़ना पड़ा!
थे कुछ सपने उसके भी, गला अपने इरादों का घोटना पड़ा!
कर्ज, फ़र्ज, जिम्मेदारी ना जाने कितने रस्मो से  दो -चार  होना पड़ा!
हाँ वो लड़का था मगर उसे घर छोड़ना पड़ा!!

©Faniyal
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