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मिलना हमारा ना जमाने को मंजुर था ना वक़्त को मंज

 मिलना हमारा ना जमाने को मंजुर था 
ना वक़्त को मंज़ूर था
राहे भी अलग हो गयी और कसमे भी छुट गयी 
जमाने की ना मंज़ूरी मे एक और मोहब्बत टूट गयी

©Un kahe alfaz 
  #shayri #unkahealfazzz