रूहानी नदी इक नदी की कहानी है जो हमें आपको सुनानी है नदी कितनी रूहानी है ये बताऊंगा ज़िन्दगी है बसी उसके किनारे पर ये भी दिखाऊंगा नदी का पानी कुछ इतना साफ है मैं उसमें चेहरा अपना देखूं ऐसा लगे उसमे पड़ा आफ़ताब है मेरा अधूरा चांद भी उसमें दिखता है चिंता मत कर मैं ज़रूर होऊंगा मुकम्मल वो हंसकर मुझसे अक्सर कहता रहता है । वो नदी जिसकी रवानी की तरफ़ ध्यान गया ही नहीं वो नदी जिसकी ख्वाहिश क्या ,पूछा ही नहीं वो नदी जिसमें खुदा भी बैठने को बेताब सा है वो नदी वो दरिया और कुछ है ही नहीं सच मानो यारो वो आंचल मेरी माँ का है याद करो जो मैने अपना अक्स नदी में देखा है तू सूरज है सब छोटे सब खोटे तेरे आगे मेरी माँ का आंचल मुझसे कहता रहता है याद करो जो मैने अपना अधूरा चांद नदी में देखा है वो चांद मेरा ख्वाब है जिसके मुकम्मली के वास्ते मेरी माँ का आंचल दर-ए-खुदा पे अक्सर फैला रहता है कभी पूँछू ख्वाहिश माँ की उसका हाथ पकड़ के लेकिन एक प्रश्न रोक लेता है मुझको ये कह के माँ अपने जीवन से ऐसा क्या पाती है कि कहती है की धन्य हुई मैं माँ बनके ?? अब चलो उस नदी में दो फूल प्रेम के डाले हम माँ तुम सबसे अच्छी हो इक पन्ने पर लिखकर नदी में डालें हम।। ©Ankit Tiwari #KavyanjaliAntaragni21