एक दिन ऐसी एक रात हुई कुछ जज्बातों की बात हुई उसने था कहा कुछ बोलो ना ख़ामोश लबों को खोलो ना क्यों इतना तुम शर्माते हो ना दिल के राज बताते हो जो बीत गया वो पीड़ा थी हर बात से तुमको घृणा थी क्यों मन मयूर को रोका ना ख़ुद को तुमने क्यों टोका ना जब प्रीत छलावा था उसका जज़्बात दिखावा था उसका हर बात को था जब जान लिया फिर झूठ को सच क्यों मान लिया तेरा ऐसा करना था ठीक नहीं यह प्यार था कोई पीक नही पर पीक से फिर भी बच जाते है पर प्रीत में सब लुट जाते है ©Ankur tiwari #loyalty एक दिन ऐसी एक रात हुई कुछ जज्बातों की बात हुई उसने था कहा कुछ बोलो ना ख़ामोश लबों को खोलो ना क्यों इतना तुम शर्माते हो ना दिल के राज बताते हो जो बीत गया वो पीड़ा थी