हालात के जद़ में रहो या कुदरती जद़ में रहो. ताईरों जिद्द ना करो अपने बने हद्द में रहो. रहजनी की बात छोड़ो रहनुमा कोई नहीं. आप' हम ' वो ' जो भी जहाँ है खुश रहो. गर्दिशें आई है सब खामोश अपने घर में है. गर परोसी गमज़दह हैं,संग रक्खो खुश रहो. #अखलाक साहिर #अखलाक साहिर