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चेहरे तो यहां एक है रुप यहां अनेक

चेहरे तो यहां एक है
                रुप यहां अनेक 
बातें यहां नही दिखता
                 इरादें सबका दिखता है

खुद को लाख छिपा लो कितना
                     हकीक़त चेहरे पे दिखता
बातें चाहें बना लो कितना
                      होठों पे हकीक़त न छिपता 

अंदर जैसा विचार है चलता
                      बाहर चाल ढाल में दिखता
बदलाव ऐ कैसे हो रहा है
                       ख़ुद से अनभिग लोग हैं रहता

गुणों में चरित्र ऐसा गुण है
                   अंदर को बाहर, बाहर को अंदर ले जाता है
जैसा आप बना चाहते है
                     वैसा आपको बनाता है

©Pawan Munda
  चेहरे यहां एक है पर रुप यहां अनेक
pawanmunda1485

Pawan Munda

New Creator

चेहरे यहां एक है पर रुप यहां अनेक #कविता

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