उजाले की चाह मे, जलते दीपक बुझाते गये अपनी खुशी के लिये, दूसरों को दुःख देते गये मुस्कुराहट के पीछे, छूपे आसूं ना देख पाए किसी को अपना मान कर भी, उसे अपने पन का अहसास ना दिला पाए। - sakshi chauhan Unspoken words