अगर कुछ पाना है तो कर ख़िदमत फकिर की, नहीं मिलता हैं बादशाहो के दरपर ये गौहर, ये नवाजदे नजरो ये अता करदे दिल से इनकी हकिकत ये ही जाने ये कब कारम करदे मुरीदौ पर, ये कब सीना बाई सिना राजे नियाज देते, ये हुसेन के लाल है ये दीवाने दसतागीर के है अली के घाराने से सैययद इनका लकब है ये खाजा के मलंग है ,दर पर पडा़ हु मे खाजा के दर पर पड़ा रहने दौ, मेरे खाजा है अता ए रासुल मेरे खाजा का घराना है मुझे काबुल Khawaja ka gharana kabul