बोलना अच्छी बात है यह एक साधारण ज्ञान है। परन्तु सत्य क्या है ? सत्य एक भाव है जो निश्छलता, पवित्रता और अहिंसा का प्रतीक है। जैन धर्म में सत्य की परिभाषा है निरवद्य प्रवृत्ति। निरवद्य अर्थात पवित्र भाव, सावद्य अर्थात अपवित्र भाव ।सत्य भाषण का अर्थ है – वाणी का संयम, भाषा का विवेक। आज बहुत से कलह भाषा विवेक के अभाव में होते हैं। बात कहने का तरीका निर्माणात्मक होना चाहिए, विधवंसक नही। शत्रु के प्रति भी बात कहते समय अपशब्द, अपमानजनक शब्द, हिंसक शब्द, व्यंग्य आदि का प्रयोग न करना सत्य भाषण है। सत्य पर महान लोगों द्वारा कहे गए अनमोल कथन। ©writer Ramu kumar अनमोल बचन