चिराग हूं मैं भी किसी के आशियाने का, मगर तुमने मुझे बेगैरत- सा समझ लिया।। तुम्हारे टूटे हुए दिल को जरा बहलाने क्या लगे, मगर तुमने तो आलोक को खिलौना समझ लिया।। ©आलोक अग्रहरि #चिराग़