✍️हीरे का आदमी✍️ चांद तारों में उतर कर देखा मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा देखा ठहरे हुए परिंदे को आदमी को मैंने उड़ते देखा आसमानों में फूल खिल रहे थे और जमीनों पे चांद रोशन थे मैंने देखा फकीरों के सर पर सोने चांदी के ताज रोशन थे मैंने देखा बुढ़ापा मौज में था जवां बचपन को सिसकते देखा मैंने गिद्धों को महल में देखा और कौवों को चमन में देखा मैंने देखा अकेला हंस रहा था कारवां को मैंने रोते देखा मैंने देखा महल सोने का “विनय” उसमें हीरे का आदमी देखा ©writervinayazad ✍️हीरे का आदमी✍️ चांद तारों में उतर कर देखा मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा देखा ठहरे हुए परिंदे को आदमी को मैंने उड़ते देखा आसमानों में फूल खिल रहे थे और जमीनों पे चांद रोशन थे मैंने देखा फकीरों के सर पर