मैंने माँ की और इस आस में नम आँखों से निहारा कि वो पापा को और डांटने से रोकेंगी पर वो चुप रही मैं महसूस कर रह गया न जाने कब आँसू आँखों से नीचे लुढ़क गए शायद तब मैं यह समझने के लिए बहुत छोटा था कि पिता की डाँट होती है माँ की ममता समान !! ©RAJESH KUMAR (RK) पिता और पुत्र