आज अपनी कहानी सुनता हूँ, सब को, एक जमाने ने के बाद! वो फिर याद आ रही है मुझको, मुझसे दूर चले जाने के बाद! वो कम मशहूर न थी इश्क़ के बाज़ार में, उसके ही चर्चे होते थे उसके जाने के बाद! चर्चे मेरे भी कम नहीं थे इश्क़ के बाजार में जैसे उसके चर्चे होते थे उसके जाने के बाद! मेरा भी ज़िक्र होता था लोगों के ज़ुबान पर, उसके नाम के साथ मेरा नाम आने के बाद! मुहब्बत कम न हुआ था हमदोनों के दरमियां लोगों के हंगामा करने, चीखने-चिल्लाने के बाद! रूठ जाती थी वो अक्सर मुझसे हर दिन,यूँ ही ताकि मैं उसे मनाऊं उसके रूठ जाने के बाद! मिलने के लिए इंतेजार करती थी मेरा, सुबह से लेकर, शाम आ जाने के बाद! रोती थी अक्सर वो मुझे याद कर के,जब, मुलाक़ात न होती थी कहीं चले जाने के बाद! फिर घंटो बातें किया करती थी वो मुझसे, अपने बाहों में लेकर मेरे आ जाने के बाद! सारा दिन वो भूखी रहती थी माहे -ए- रमज़ान में फिर खूबशूरत चाँद नज़र आता था चाँद रात आने के बाद! चराग़-ए-इश्क़ जल रहे थे हम हमदोनों दिलों में,मगर उसका इश्क़ कमने लगा था कुछ वक़्त बीत जाने के बाद! अफसोस नही था उसके इश्क़ कम हो जाने से,मगर, अफसोस..मुझे न समझी मेरे इतना करीब आने के बाद! जिसके लिए जीता था मैं, हर दिन, हर पल, वो भी बदल गई जमाने के बदल जाने के बाद! #अपनी #कहानी #सुनता #हूँ आज अपनी कहानी सुनता हूँ, सब को, एक जमाने ने के बाद! वो फिर याद आ रही है मुझको, मुझसे दूर चले जाने के बाद! वो कम मशहूर न थी इश्क़ के बाज़ार में,