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हाँ, एक मन था। जो उड़ जाता था, आंगन में फुदकती गौर

हाँ,
एक मन था।
जो उड़ जाता था,
आंगन में फुदकती गौरैयों के साथ।
जो मारकर ढेलों पर ठोकर,
दौड़ जाता था नंगे पावँ खड़ंजों पर।

एक मन था।
जो उछल पड़ता था,
देखकर मेरी नन्ही हथेलियों में रसगुल्ले।
एक मन था,
जिसकी दुनियां नाप ली थी
मेरे नन्हे कदमों ने।

अब एक मन है।
जिसकी दुनियां छोटी नहीं।
ये जो मन है,
जैसे कुरुक्षेत्र हो।
जो न जाने किस कृष्ण की 
प्रतीक्षा में ह। #shashank
#man
#मन
#शशांक_सफ़ीर
हाँ,
एक मन था।
जो उड़ जाता था,
आंगन में फुदकती गौरैयों के साथ।
जो मारकर ढेलों पर ठोकर,
दौड़ जाता था नंगे पावँ खड़ंजों पर।

एक मन था।
जो उछल पड़ता था,
देखकर मेरी नन्ही हथेलियों में रसगुल्ले।
एक मन था,
जिसकी दुनियां नाप ली थी
मेरे नन्हे कदमों ने।

अब एक मन है।
जिसकी दुनियां छोटी नहीं।
ये जो मन है,
जैसे कुरुक्षेत्र हो।
जो न जाने किस कृष्ण की 
प्रतीक्षा में ह। #shashank
#man
#मन
#शशांक_सफ़ीर