.. हर शै तेरा रज़ा तेरी मै तेरा मुझमें मुमकिन वजह तेरी, मगर तुझसे हुए उल्फ़त मेरी जो रही इबादत क़द्र को तेरी, के ख़ैरःअता पे इश्क़ न हो पूरी..! .. खुशामदीद.. 💝 .. माज़ी की मिश्री .. २०१७, को दर्ज़ की थी..