*#मिली हैं #रूहें तो, #रस्मों की #बंदिशें क्या हैं,,,,,,!* *#यह ,,#जिस्म तो #ख़ाक हो जाना है फिर #रंजिशें क्या हैं,*,,,!! * #छोटी सी है #ज़िन्दगी, फिर #तकरारें_ऐ_दिल किस लिए,*,,,!!! *#रहो,,हर दम एक दूसरे के #दिलों में यह #दीवारें_ऐ_मंजिल किस लिए,,,,,,*!!! *#खुशी के #फूल उन्हीं के #दिलों में खिलते हैं,*,,,!!!! *#जो यकीनन्,,,#आदमी की तरह #आदमी से मिलते हैं,*,,,,!#राज!!!!