anil Malviya ©Anil Malviya @bookstagram787 my review " Musafir cafe " Anil Malviya ... Musafir cafe - जब हम छोटे थे तो हमें आसमान के पार की कहानियां सुनाई जाती थी , उन कहानियों को सुनते समय जो सुकुन महसूस किया था , आज मुसाफिर cafe पढ़कर फिर वहीं सुकून मिला । इस उपन्यास को मैंने जीवन जीने के ढंग से जोडा है समीक्षा भी उसी नक्शे-कदम पर लिखी गई है ! मुसाफिर कैफे के किरदार " चंदन और सुधा " धर्मवीर भारती जी के उपन्यास "गुनाहों के देवता " से उधार लिये गये है । मुसाफिर कैफे उपन्यास को पढ़ते समय, मैंने केवल जिया ही नह